नाद और ध्वनि क्या है
संगीत का सम्बन्ध " ध्वनि "से या " आवाज़ " (SOUND) से है, हम जो भी सुनते है वो सब ध्वनि ही है, हम कुछ ध्वनियों को सुनना पसंद करते हैं और कुछ को नहीं, जिन ध्वनियों को हम सुनना पसंद करते हैं उन ध्वनियों को मधुर , और जिनको हम सुनन पसंद नहीं करते उन्हें हम कर्णकटु या फिर कर्कश कहते हैं संगीत का सम्बन्ध केवल मधुर और कर्णप्रिय आवाज़ या ध्वनि से है।
पुराने ग्रंथों (AVAILABLE DOCUMENTS) में मधुर ध्वनि को " नाद " नाम दिया गया है। संगीत का ध्वनि से अटूट सम्बन्ध है। ध्वनि की उत्पत्ति कम्पन (VIBRATION ) से होती है। संगीत में ध्वनि का प्रयोग करके स्वर उपन्न किये जाते हैं और ध्वनि के माध्यम से ही विभिन्न प्रकार के राग और भाव प्रकट किये जाते हैं संगीत वादन हो या गायन सभी का माध्यम ध्वनि ही तो है।
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ध्वनि भी २ प्रकार की है --- (१) शोर (२) नाद
(१) शोर वाली ध्वनियों का संगीत में कोई स्थान नहीं है इसको असांगीतिक ध्वनि (NON MUSICAL SOUND) भी कहते हैं।
(२) नाद ध्वनियों का संगीत में प्रयोग किया जाता है। ये वो ध्वनियाँ होती है जो मधुर और कर्णप्रिय होती हैं जिनको सुनने का मन करता है। इसी ध्वनि को नाद कहते हैं।
संगीत रत्नाकर ग्रन्थ में कहा गया है ---
आहतोआनाहतश्चेति द्विधा नादो निगद्यते।
इसके अनुसार नाद २ प्रकार का है (१) अनाहत नाद (२) आहत नाद
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एक औसत दर्जे के संगीत प्रशिक्षु को भी हारमोनियम बजाकर कुछ समय तक रियाज़ अवश्य करना चाहिए। हालांकि गायन की साधना के लिए सर्वोत्तम वाद्ययंत्र तानपुरा ही है , किन्तु एकदम नए विद्यार्थी (beginner) तानपुरे पर शुरू में अभ्यास नहीं कर पाएंगे इसलिए मैं अभी के लिए तो हारमोनियम ही सिफारिश करूँगा (I RECOMMEND HARMONIUM FOR THOSE PEOPLE)
(१) अनाहत नाद
क्या है अनाहत नाद ? ... जो नाद केवल अनुभव से जाना जाता है जिसके उत्पन्न होने का कोई खास कारण नहीं होता , अर्थात जो बिना किसी कारण के स्वतः उत्पन्न होता है तथा सामान्य रूप से सुनाई नहीं देता अनाहत नाद होता है इसे "सूक्ष्म " अथवा " गुप्त " नाद भी कहा जाता है यह नाभिकमल में स्थित होकर हमेशा बिना आघात के उत्पन्न होता रहता है। अनाहत नाद संगीत उपयोगी नहीं होता है क्योंकि वो आम जनसाधारण को सुनाई नहीं देता किन्तु यदि अनाहत नाद न होता तो आहत नाद की भी उत्पत्ति संभव नहीं थी। ये वही अनाहत नाद है जिसकी साधना प्राचीन काल के ऋषि मुनि किया करते थे।
(तानपुरा)
(२) आहत नाद
आहत का अर्थ है - आघात किया हुआ आघात द्वारा उत्पन्न नाद आहत नाद कहलाता है। यह नाद संगीतोपयोगी माना जाता है आहत नाद से ही स्वरों की उत्पति हुई है। नाद की परिभाषा में कहा गया है कि "स्थिर और नियमित आंदोलनों से उत्पन्न नाद ही आहत नाद है। "
संगीत रत्नाकर ग्रन्थ के अनुसार ---
नकारं प्राणमामानम दकारंमनलं विदुः ।
जातः प्राणाग्निसंयोगात्तेन नादोअभिधीयते।।
Very good notes
ReplyDeleteVery nicely explained
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